सिकल सेल रोग से उबर रहा समाज, पढ़ें जेपी नड्डा का खास आलेख
-जगत प्रकाश नड्डा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री–
Sickle Cell Disease : भारत के आदिवासी समुदाय, जो कि कुल जनसंख्या का 8.6 फीसदी हैं, राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत के मूल तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन समुदायों के व्यक्ति जानकारी के अभाव में सिकल सेल नामक आनुवांशिक बीमारी से जूझ रहे हैं. इस बीमारी ने उनके स्वास्थ्य के साथ सामाजिक-आर्थिक विकास पर गहरा असर डाला है और भौगोलिक अलगाव व स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच के कारण और भी जटिल हो गयी है. इसे देखते हुए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में जुलाई, 2023 में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की शुरुआत की. इस पहल का उद्देश्य सिकल सेल के आनुवांशिक संचरण का उन्मूलन करना है तथा इससे प्रभावित लाखों लोगों के सम्मान और स्वास्थ्य को भी बहाल करना है.
इस बीमारी में लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बदल जाता है, जिससे उनकी ऑक्सीजन वहन करने की क्षमता कम हो जाती है और धीरे-धीरे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जटिलताएं उत्पन्न होने लगती हैं. आदिवासी आबादी के बीच इसका असर गहरा है, क्योंकि वे इस आनुवंशिक बीमारी से असमान रूप से प्रभावित होते हैं. ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज एस्टिमेट्स (2021) रिपोर्ट के अनुसार, देश में सालाना अनुमानित 82,500 बच्चों का जन्म सिकल सेल रोग के साथ होता है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 ने इससे निपटने के लिए आधार तैयार किया. इसी के आधार पर केंद्रीय बजट 2023 में एनएससीएइएम की घोषणा की गयी, जिसमें वित्त वर्ष 2025-2026 तक 40 से कम आयु के सात करोड़ व्यक्तियों की मिशन मोड में जांच करने का........





















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