सुरक्षा गारंटी के लिए जेंलेंस्की ने NATO से न जुड़ने के दिए संकेत, लेकिन सीमा पर समझौता अस्वीकार
Volodymyr Zelenskyy offers to drop NATO ambition: रूस–यूक्रेन युद्ध को तीन साल से अधिक समय हो चुका है. यह 22 फरवरी 2022 से शुरू हुआ यह सैन्य संघर्ष अब चौथे साल के करीब है. अब यह संघर्ष केवल सैन्य टकराव तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि कूटनीति, सुरक्षा गारंटी और भू-राजनीतिक संतुलन का बड़ा सवाल बन चुका है. एक ओर रूस अपने कब्जे वाले इलाकों को लेकर कठोर रुख अपनाए हुए है, तो दूसरी ओर यूक्रेन पश्चिमी देशों से दीर्घकालिक सुरक्षा आश्वासन चाहता है. इसी पृष्ठभूमि में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और यूरोप के सामने अपनी शर्तें और चिंताएं खुलकर रखी हैं.
रविवार को जेलेंस्की ने स्पष्ट कहा कि यदि पश्चिमी देश यूक्रेन को ठोस और भरोसेमंद सुरक्षा गारंटी देते हैं, तो उनका देश नाटो में शामिल न होने पर भी विचार कर सकता है. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अमेरिका यूक्रेन पर रूस को किसी भी तरह का क्षेत्र सौंपने के लिए दबाव न बनाए. जेलेंस्की का कहना है कि सुरक्षा गारंटी का मकसद भविष्य में रूस को दोबारा युद्ध छेड़ने से रोकना होना चाहिए.
जेलेंस्की युद्ध समाप्ति से जुड़े कूटनीतिक प्रयासों के तहत अमेरिका के राजनयिकों से बातचीत के लिए बर्लिन पहुंचे. यहां वह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और ट्रंप के दामाद जेरेड कुशनर के साथ संभावित वार्ता से पहले जर्मन चांसलर से मिले. बर्लिन में हुई यह बैठक यूक्रेन, अमेरिका और यूरोपीय अधिकारियों के बीच चल रही सिलसिलेवार बैठकों का हिस्सा है, जिनका उद्देश्य युद्ध को समाप्त करने के लिए किसी साझा रास्ते पर सहमति बनाना है.
वार्ता से पहले जेलेंस्की ने ‘व्हाट्सऐप ग्रुप चैट’ पर एक ऑडियो क्लिप के जरिए पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों ने यूक्रेन की नाटो सदस्यता के प्रयास को खारिज कर दिया है. ऐसे में कीव को उम्मीद है कि पश्चिम उसे नाटो सदस्य देशों को दी जाने वाली सुरक्षा गारंटी के समान ही कानूनी और........





















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