Independence Day 2025 : आजादी के आंदोलन को याद करने का... |
-सुब्रत मुखर्जी, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय-
Independence Day 2025 : स्वतंत्रता दिवस का यह ऐतिहासिक दिन स्वतंत्रता संग्राम को और उसमें भाग लेने वाले हमारे सेनानियों को याद करने का अवसर है. उन्नीसवीं सदी में भारत का राजनीतिक विमर्श सामाजिक मुद्दों के इर्द-गिर्द केंद्रित था, जिसे राममोहन राय ने सबसे प्रभावी ढंग से अभिव्यक्त किया. भारत के सामाजिक पिछड़ेपन को देखते हुए उनका विचार था कि पृथ्वी की सबसे उन्नत सभ्यता से भिड़ंत भारत के लिए अच्छी होगी, क्योंकि इससे देश में वैज्ञानिक नजरिया, सहिष्णुता और कानून के राज की सोच विकसित होगी. बंकिम चंद्र चटर्जी का ‘आनंदमठ’ (1882) भारत में ब्रिटिश राज के विरोध में लिखा गया था.
इंडियन एसोसिएशन (1876) के गठन के बाद ब्रिटिश राज के खिलाफ भारतीयों के राजनीतिक विचार व्यक्त होने लगे. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1885) की स्थापना के बाद इस विमर्श को और गति मिली. स्वतंत्र भारत की मांग करने वाले प्रथम व्यक्ति बालगंगाधर तिलक थे. उन्होंने कहा था कि ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है.’ तिलक ने अंग्रेजों से आजादी को पहला लक्ष्य बताया. उनका मानना था कि सामाजिक कुप्रथाओं से मुक्ति पाने के अभियान को आजादी मिलने तक टाला जा सकता है. वह भारतीय समाज के अंतर्विरोधों और कमियों को जानते थे. ऐसे में, उनका मानना था कि अगर सामाजिक कुप्रथाओं को मिटाने पर जोर दिया गया, तो देश को स्वतंत्रता मिलने में काफी देर हो जायेगी.
जहां तक कांग्रेस की बात है, तो उसका नेतृत्व 1927 तक ब्रिटिशों से पूर्ण स्वतंत्रता की बजाय डोमिनियन स्टेट के दर्जे की मांग कर........