डिजिटल जुए पर प्रतिबंध लगाना सही कदम, पढ़ें अशोक पंडित का खास लेख |
-अशोक पंडित, टेक्नोलॉजी सलाहकार एवं एंटरप्रेन्योर-
Online Gaming : केंद्र सरकार का हालिया निर्णय, जिसमें वास्तविक धन आधारित गेमिंग पर प्रतिबंध लगाया गया है, लंबे समय से चल रही बहस का निर्णायक मोड़ है. गेमिंग समर्थक इसे स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए झटका बता रहे हैं और रोजगार व कर संग्रह में गिरावट की आशंका जता रहे हैं. मगर जब हम गहराई से आर्थिक और सामाजिक पहलुओं का आकलन करते हैं, तो यह प्रतिबंध नुकसान का संकेत नहीं, बल्कि एक आवश्यक सुधार साबित होता है. ऐसे प्लेटफॉर्म्स उन लोगों से पैसा खींचते हैं, जिनके पास पहले से ही सीमित साधन हैं. निम्न और निम्न मध्यम वर्ग के लोग, जिन्हें रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है, अक्सर इन गेम्स के जाल में फंस जाते हैं. आंकड़े बताते हैं कि कर्नाटक में 2023 से 2025 के बीच 32 आत्महत्या सीधे तौर पर ऑनलाइन गेमिंग कर्ज से जुड़ी रही. हैदराबाद की हेल्पलाइन सेवाओं पर कॉल्स में 65 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई, जिनमें अधिकतर मामलों की जड़ ‘गेमिंग लत’ थी.
कई मामलों में परिवारों को 50 से 80 लाख रुपये तक के कर्ज तले दबते देखा गया. यह केवल वित्तीय संकट नहीं, सामाजिक विघटन भी है. परिवार बिखरते हैं, रिश्ते टूटते हैं और बच्चे असुरक्षा में बड़े होते हैं. असल में यह प्लेटफॉर्म गरीब से अमीर तक धन के असमान प्रवाह का माध्यम बन गया था. बहुत बड़ी संख्या में हारने वाले और बहुत छोटे वर्ग में जीतने वाले. यह प्रवाह असमानता को और बढ़ाता है तथा समाज में असंतुलन गहराता है. विरोधी पक्ष का सबसे बड़ा तर्क है कि प्रतिबंध से जीएसटी संग्रह में कमी........