Jharkhand Sthapna Diwas 2025 : धरती आबा राष्ट्रीय महानायक बिरसा मुंडा, पढ़ें अनुज कुमार सिन्हा का आलेख |
Jharkhand Sthapna Diwas 2025 : धरती आबा बिरसा मुंडा यानी राष्ट्रीय महानायक. एक ऐसे महानायक, जिन्हाेंने अंगरेजाें-शाेषकाें के खिलाफ आदिवासियाें काे एकजुट किया और संघर्ष किया. उनके संघर्षों ने झारखंड क्षेत्र में देश की आजादी के लिए मजबूत आधार तैयार किया. इस राष्ट्रीय महानायक का आज पूरा देश सम्मान करता है और उन्हें शाेषकाें के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक मानता है. पूरा देश 15 नवंबर, 1875 काे उलिहातू (वर्तमान में खूंटी जिला) में जन्मे बिरसा मुंडा के जन्म की 150वीं वर्षगांठ मना रहा है. देश भर में जनजातीय पखवाड़ा मनाया जा रहा है.
बिरसा मुंडा के कद और सम्मान का पता इसी से चलता है कि आदिवासी समाज में उन्हें भगवान का दर्जा प्राप्त है. अन्य समुदाय के मन में भी उनके प्रति सम्मान-श्रद्धा है. हाल के लगभग दस वर्षाें में बिरसा मुंडा की लाेकप्रियता पूरे देश में तेजी से बढ़ी है. उन्हें राष्ट्रीय महानायक के ताैर पर स्वीकार कर लिया गया है. देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 15 नवंबर, 2022 काे खुद बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू गयी थीं. इसके पहले भी वह राज्यपाल के ताैर पर उलिहातू जा चुकी थीं. राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद देश काे संबाेधित करते वक्त भी श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने बिरसा मुंडा के नाम और याेगदान का उल्लेख किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी भी खुद 15 नवंबर, 2023 काे उलिहातू गये थे और उस वीर धरती की मिट्टी काे ललाट पर लगा कर सम्मान दिया था. सबसे पहले राजनाथ सिंह 13 अगस्त, 2016 काे बताैर गृहमंत्री उलिहातू गये थे. राजनाथ सिंह की यात्रा के दाे दिनाें बाद ही प्रधानमंत्री ने लाल किले से भगवान बिरसा मुंडा के याेगदान की चर्चा की. उसी दिन यह भी घाेषणा की गयी थी कि देश के कई राज्याें में जनजातीय संग्रहालय बनाया जायेगा. वह बना भी. इसी क्रम में रांची में संग्रहालय बना, जहां बिरसा मुुंडा ने अंतिम सांस ली थी. कुछ समय बाद अमित शाह भी उलिहातू गये थे. 9 जून, 1900 काे बिरसा मुंडा का निधन हाे चुका था और 125 साल में यह पहला माैका है, जब किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री ने उनकी जन्मस्थली उलिहातू का दाैरा किया. यह बिरसा मुंडा के महत्व, उनके प्रति........